Thursday, December 19, 2013

बुलबुले .....!!!!

उगते हैं बुलबुले आज हवाओ में,
खिलते हैं बुलबुले आज घटाओ में,
बनाके आँधी सी ये सूरत, घुल रहे फिजाओ में है।

मन में सबके ये भरे थे, बुलबुले जो खिल रहे,
देख बढ़ता दुसरो को, बुलबुले ये छोड़ते,
बुलबुलो में जो भरा है, वो हवा पुरानी हैं,
मान इनको मोती सा, पास रखना नादानी हैं।

उगते हैं बुलबुले आज हवाओ में,
खिलते हैं बुलबुले आज घटाओ में,
बनाके आँधी सी ये सूरत, घुल रहे फिजाओ में है।

नाम और बदनाम के, सुबह और शाम के
इस वतन के वास्ते, उस वतन के बुलबुले
बात और विचार के, अपने शिष्टाचार के,
गोलियों और तोप से भी बने थे बुलबुले

उगते हैं बुलबुले आज हवाओ में,
खिलते हैं बुलबुले आज घटाओ में,
बनाके आँधी सी ये सूरत, घुल रहे फिजाओ में है।

बुलबुला इक युं उगा था, देश को बदलने का,
क्या पता था बुलबुलो को बैठे तीरंदाज़ थे,
हर बुलबुले का हाल हैं वो, जैसे पैर के धूल का,
पर बुलबुले जो घुल चुके, वो फ़िज़ा में खिल रहे।

 उगते हैं बुलबुले आज हवाओ में,
खिलते हैं बुलबुले आज घटाओ में,
बनाके आँधी सी ये सूरत, घुल रहे फिजाओ में है।

बुलबुले तो बुलबुले हैं, बस पल दो पल का साथ था। 

Sunday, November 24, 2013

"तन्हाई"

आज फिर मुझे याद आयी, अपने बिछड़े यार कि,
आज फिर मुझे एह्सास हुआ, उससे अपने साथ कि,
एक अर्सा साथ गुजारा था, फिर पास उसे बुलाया हैं 
दोस्तों कि भीड़ में, "तन्हाई" नाम उसने बनाया हैं.


Saturday, November 23, 2013

जिंदगी कि दास्तां

लिखा था किसी ने लहू से, रेत पे जिंदगी कि दास्तां 
भूल गया था वो फितरत, रेत और वक़्त का बदलना
लिखा तो था दर्द दिल का, पर खुशियों  ने जगह लेली
पाये थे  जंहा काँटों के निशा, फूलो को सींचा लहू से था 

Sunday, November 17, 2013

आहिस्ता आहिस्ता। ....

कभी भूली बिसरी यादो में,
कभी बिखरे से जज़बातो में,
कभी आँखों के किसी कोने में,
पर अक्सर लम्हे वो चले आते हैं। 

हम लेटा करते थे ज़मी पे,
तारो को आसमा से लाने को। 
आवारा घूमते बादलो से,
पानी निचोड़ लाने को। 

पल दो पल में पाना चाहा था,
हर ख़ुशी हर अर्मान को। 
ज़िंदगी में रफ़्तार को,
फिर मौत के फर्मान को। 

सोचते थे है सब हममें,
कुछ कर दिखने को। 
डरते नहीं थे आंधियो से,
आसमां को चीर जाने को। 

पर ज़िंदगी को प्यार था शायद,
प्यार था उसे मुझसे बेइंतहा 
मुझमे जो समां गयी चुपके से 
कि अब जी रहा हूँ मै उसको,

आहिस्ता आहिस्ता। ....  

Tuesday, September 17, 2013

निर्माण

कर रहे निर्माण हम देश के भविष्य का।
कर रहे निर्माण हम देश के भविष्य का।
देश को ही बेच कर कर रहे निर्माण हैं
देश को ही लूट कर कर रहे निर्माण हैं

बाटते हैं जमी को, बाटते इंसान हैं
ज्ञान और धर्म को, बाटते अज्ञान से।
धर्म को ना मानते, बाटते ये जात हैं
कोई ऊँचा कोई नींचा, बाटते सम्मान हैं।

कर रहे निर्माण हम देश के भविष्य का।
कर रहे निर्माण हम देश के भविष्य का।

लुट गई है आबरू, लुट गया इमान हैं,
औरते जूती है पैर की, नर को नर का दर्प है ।
देवियों को पूजता, पत्थरों का सम्मान हैं
जिंदा है जो वो नारी, उसकी ज़िन्दगी नर्क हैं।

कर रहे निर्माण हम देश के भविष्य का।
कर रहे निर्माण हम देश के भविष्य का।

कहने को तो चाँद पे जाने को तैयार हैं
ये ज़मी को खो रहे, इसका ना हीं ज्ञान हैं
आज को तो खो रहे, कल से हैं अनभिज्ञ भी
पूर्वजो ने जो किया, उसका पर अभिमान हैं

 कर रहे निर्माण हम देश के भविष्य का।
कर रहे निर्माण हम देश के भविष्य का।

वोटआउट एट इलेक्शन

Vote tera le legi
Jaan teri le legi
Imaan tera le legi
O Shila teri.. hey!
O Shila teri.. hey hey!
O Shila teri le legi
Tu likh ke le le… hey hey…
O Shila teri le legi
Tu likh ke le le

Ek Shilanyas kardegi… hey hey hey!
Vaade woh phenkegi… hey hey hey!
Arey ek Shilanyas kardegi
Vaade woh phenkegi
Iraade badal degi
O Shila teri le legi tu likh ke le le
O Shila teri le legi tu likh ke le le

Sheesha-e-vaade ye uchhaale
Tewar hain iske niraale
Arey dekhe toh ghotale kar de
Kabhi kabhi kaam kar de
Lut.te phire dilliwale
Naa jaane kya kar degi
O Shila teri le legi tu likh ke le le
O Shila teri le legi tu likh ke le le

O Shila ki nazarein nasheeli
O har ek adaa hai rangeeli
Aisi tedhi chaal hai tauba
paise se maalamal hai tauba
Uff ye Umar saath ki holi
Qayamat hi kar degi
O Shila teri le legi tu likh ke le le
Hey hey hey…!
O Shila teri le legi tu likh ke le le..

Vote tera le legi
Jaan teri le legi
Dilli tera le legi
Jaan teri le legi
Imaan tera le legi

O Shila teri le legi tu likh ke le le
Hey hey hey…
O Shila teri le legi tu likh ke le le
Hey hey hey…
O Shila teri le legi tu likh ke le le


Monday, September 16, 2013

बेगाना !!!

कर गए हम कई गुनाह, मेरे अपनों के प्यार में
और मेरे अपनों ने ही, मुझे गुनहगार बता दिया 
अपनों के लिए खुशियाँ, अपने लिए गम को चुना
और मेरे अपनों ने ही, मुझे गुमराह बता दिया 

खुद को तो हम कबका मार चुके थे,
पर मेरे अपनों ने कफ़न अब लपेटा 
जिन्दा तो बस अब ये नाम रहा 
वरना अपनों ने तो मुर्दा बता दिया

गैरों से नहीं रक्खा वास्ता, अपनों को वक़्त दे सकु, 
पास आने पे अपनों ने ही, मुझे बेगाना बना दिया 

Sunday, August 4, 2013

Happy Friendship Day!!!

दोस्ती की कमीनियत की यादो में 
आज दोस्तों की याद सभी को आई
किसी को अपने इटली के दोस्तों की 
तो किसी को इडली खाने वालो की 
किसी चारे वाले को बेजान खालो की
किसी ने राम को अपना दोस्त बनाया 
तो किसी ने रमजान मनाने वालो को 
पर दोस्ती उनकी मतलबी थी निकली 
पिछली बार दोस्ती की कसमे खा के 
याद न किया सालो ने सालो तक 
अब जब कब्र लगी है खुद की खुदने 
तो खुदा की कसमे खाली है सबने

कोई अमीरों की दोस्ती निभा रहा हैं 
कोई गरीबो को दोस्त बना रहा हैं 
कोई राम को अपना दोस्त बता रहा है 
कोई सेक्युलर के वादे बता रहा हैं 

पर हम आप तो ये जानते हैं 
दोस्ती ये पैसे से ही मानते हैं 
दो पैसे देके आज ये आपको 
दोस्ती की कसमे ये खायेगे 
कल को आपके पैसो के साथ 
उम्मीदे भी ले कही छुप जायेंगे 

तो मानो पुराने बुजुर्गो का कहना 
दोस्ती सोच समझ के ही करना 
दोस्ती उससे जो सिर्फ साथ दे
मुसीबतों में जो मौत को भी मात दे
बाकी अब क्या कहे आपसे
Happy Friendship Day!!!!

Thursday, August 1, 2013

मौसेरो का धंधा!!!

बैठ मौसेरे सारे भाई, संसद को चलाते हैं 
बस अपना धंधा, अपना नाम चमकाते हैं 
कोई रोके कोई टोके तो रस्ते पे आ जाते हैं 
बोले हमरा धंधा, कानून हम ही बनाते हैं 

कसकी इतनी औकात, जो हमको सिखलाये 
जाए पहले मेरे असल बाप को ढूंड के लाये 
हम धंधा करने आये हैं चाहे जितने कमाए
कम पड़ा था हमको तो, माँ को बेच ही आये  

बटती माँ !!

आज फिर बटी हैं ये धरा, कौड़ियो के दाम पे
फिर बिखरी पड़ी हैं माँ अपने बेटो के घाव से. 
बाटा गोरो ने जब माँ को तो लहू बिखरा बेटो का ।
अब बाट रहे बेटे ही माँ को लहू बहाके माँ का ।

फिर बट रही हैं धरती ,जाती धर्मो के नाम पे 
बिक रही बाजारों मे, राजा रंको के काम से
अब कोई बनेगा राजा, बाकि चोर ही रह जायेंगे 
राजा आधा खायेगा, और बाकी भी कुछ पाएंगे
बैठ मदारी दिल्ली मे तमाशा खूब दिखाएगी 
बेचारी भूखी जनता को ये नंगा ही नचाएगी


Friday, March 29, 2013

बिक रही आज़ादी है!!!


बिक  रही आज़ादी है, कौड़ियो के दाम पे
कही पार्टीयो के तो कही धर्म के नाम पे।
चोराहो पे बैठ के , नारे ऐसे लगा रहे 
ज़ंजीरो को बांध के, आज़ादी को भगा रहे।
कौन ज़ंजीरो से बांधेगा, उनको चुन के लाते हैं
लगाके ताला किस्मत पे, चाभी उन्हें थमाते हैं।
आज़ादी का मतलब क्या, जब ज़ंजीरो में रहना हैं
खुले समन्दर सोचे क्या ,जब कुंए में ही रहना हैं।

Tuesday, March 26, 2013

साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!

साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
की जंहा हमने बहादुर बेटी खो दी 
की जहा सहिदो का सम्मान नहीं
की जहा सच्चाई का मोल नहीं 

साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
करप्सन जहा पर रुकता नहीं 
करप्सन करने वाला थकता नहीं 
करप्सन रोकने वाला बचता नहीं 

साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
दुश्मनों से लड़ मरता हैं कोई 
दुश्मनों को भोज देता हैं कोई 
दोस्तों को दुश्मन बनाता हैं कोई 

साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
आरक्षण जाती पे मिलती हो जहा 
आरक्षण धर्म को मिलता हैं जहा 
आरक्षण गरीबो को मिलता भी नहीं 

साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
वैसे तो बहाने बहुत हैं पास मेरे 
रंगों में रंग अब घुलता नहीं 
एक भाई दुसरे से मिलता नहीं 
मिलते हैं तन, मन मिलते ही नहीं 
रंगों से सजी ज़िन्दगी, बेरंग जहाँन देखता नहीं 
साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!

Tuesday, March 19, 2013

ज़िन्दगी को कहले


आँशु दर्द के निकल आए, मुझे खुश देख कर,
के हर ज़ख्म रो पड़ा,मेरी हँसी को सुन कर,
जी रहा हूँ अब ऐसे, की मर चुका हूँ मै पहले,
कहानिया ख़त्म हो गयी,अब ज़िन्दगी को कहले।

Sunday, March 10, 2013

बहादुर लड़की !!!!!

लुट चुकी थी जिसकी आबरू,
आज फिर से लुट रही हैं वो।
बेबस तब थी उसकी रूह,
पर आज कश्मकश में हैं।
लौटना था उससे इंतकाम को,
पैर शर्म से चुओ गयी है।
बहादुर जब उसे बनाना था,
तो लचर बना दी गयी थी वो।
जो अब इंतकाम चाहती है,
तो बहादुरी से लिपटी गयी वो।

Wednesday, March 6, 2013

खामोशी


एक खामोशी सादगी कि,
एक खामोशी बेचारगी की।
एक थी वो बेरुखी की,
एक थी वो प्यार की।
एक खामोशी क्रोध थी,
और खामोशी वार सी।
एक थी सागर सी भरी,
एक थी बंज़र ज़मी।
लब्ज़ के बिना हो खामोशी,
या करोंडो लब्ज़ हो।
शर्म कहती है कही,
तो कही बेशर्म हैं।
एक खामोसी के अन्दर,
जाने कितने दर्द हैं।

Saturday, March 2, 2013

दुआ

गर कर लेता कबुल हर दुआ, तो तुझे पूजता ही क्यों बन्दा।
गर हर ख्वाहिस हो जाती पूरी, तो तुझसे मांगता क्यों बन्दा।
गर कर सकता कुछ खुद से, तो हाथ फैलता क्यों ये बन्दा।
गर रखनी थी इत्ती मजबुरिया, तो बनाया ही क्यों ये बन्दा।

माना कायनात हैं ये तेरी, तो क्यों न खेलेगा तू इससे।
ये जमी तेरी ये आंसमा तेरा, तो रंग क्यों न भरेगा इसमें।
ये दरिया तेरी, ये पर्वत तेरे, तो जन्नत बसाया है इसमें।
पर इन्सा बनाके तूने, दिलो दिमाग दे दिया क्यों इसमें।

तेरी ऐसी बद्शाहत काबुल ना हैं मुझे, तेरे होने की परवाह नहीं।
जो तेरी हैसियत सैता से बढ़के होती, तो परवाह हमें होती नहीं।
तुझे खेलना हो जो बन्दों से जहान के, तेरे बन्दों में मै हूँ नहीं।
तुझे पूजते हैं सभी डर से, सम्मान से, मई तुझे मानता ही नहीं।

Monday, February 18, 2013

हौसला

आज्माले तू ऐ किस्मत, की मुझसे जीत न पायेगा।
चूर कर भी सका मुझको, पर पिघला न पायेगा।
तू खुद मेरे हाथो मे बंधा , मुझसे दूर कहा जायेगा।
जो मेरी मुस्कराहट देखली, तू खुद ही बदल जायेगा।

ना कर तू गुमान खुदपे, तुझे बंद मुट्ठी मे रखते हैं।
जिनके हौसले हो बुलंद, तेरे सामने कहा झुकते हैं।
तक़दीर बनाने वाले की, तक़दीर कहा होती हैं।
कूट चुके जिनके हाथ, क्या उनकी तक़दीर नहीं होती हैं।