Saturday, September 18, 2010

नैना

नैना.ना.ना..नैना.
नैना.ना.ना..नैना.
नैना..तेरे नैना 
नैना..तेरे नैना
देखो..कहते हैं ना
नैना.ना.ना.नैना.
चाहे हो खुली, हो चाहे बंद.
इशारों मे ही कहती हैं ना
लुबो कि खामोसी को 
ये तोडती हैं ना.
नैना.ना.ना.नैना.
नैना.ना.ना.नैना.
हैं जंहान में खुदा कि रूह तेरे नैना
एक अम्बर तले दो सागर ये नैना 
मृग नैना .
नैना.ना.ना.नैना.
नैना.ना.ना.नैना
हो खफा तो खंजर भी हैं तेरे नैना.
मुहोब्बत मे क़त्ल करते भी हैं ना.
नए नए से नैना
नैना.ना.ना.नैना.
नैना.ना.ना.नैना

Saturday, September 4, 2010

रेन इज  फाल्लिंग छमा छम छम.
दिल्ली  के कीचड़ मैं गिर गए हम  
लड़की ने जो हाथ बढाया रुक गया दम,
देखने मे वो लग रही थी बिलकुल आइटम

किसी तरह हमने होश को संभाला,
बंद हुई जबान से धन्यवाद निकाला
अपने  हाथो से तश्रीफ़ से  कीचड़ झाटकारा.
फिर उसी हाथ को उस हसी कि ओर उछाला.

वो इस खूबसूरती से मुस्कुराई ,
देख मेरे मन ने ली अंगडाई.
फिर अपना रुमाल मेरी तरफ बढाया.
कहा करलो जरा अपने तश्रीफ़ का सफाया. 



अब हमे अपने कपड़ो का ध्यान आया
जो अपनी पैंट पे नज़र को दौडाया.
तो मेरी फट चुकी कि थी हर तरह से 
बचपन का नज़ारा सरेआम हो आया

शिला आंटी जी से गुजारिश हैं हमारी.
कोमनवेल्थ गेम से पहले सड़के बनवाए 
और गड्ढो से घिरी दिल्ली मे लडको को 
कम से कम लडकियों के सामने ना गिराए.