की जंहा हमने बहादुर बेटी खो दी
की जहा सहिदो का सम्मान नहीं
की जहा सच्चाई का मोल नहीं
साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
करप्सन जहा पर रुकता नहीं
करप्सन करने वाला थकता नहीं
करप्सन रोकने वाला बचता नहीं
साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
दुश्मनों से लड़ मरता हैं कोई
दुश्मनों को भोज देता हैं कोई
दोस्तों को दुश्मन बनाता हैं कोई
साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
आरक्षण जाती पे मिलती हो जहा
आरक्षण धर्म को मिलता हैं जहा
आरक्षण गरीबो को मिलता भी नहीं
साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
वैसे तो बहाने बहुत हैं पास मेरे
रंगों में रंग अब घुलता नहीं
एक भाई दुसरे से मिलता नहीं
मिलते हैं तन, मन मिलते ही नहीं
रंगों से सजी ज़िन्दगी, बेरंग जहाँन देखता नहीं
साल यंहा मुझे होली खेलनी नहीं!
really great ... touching ...
ReplyDelete