एक फुटपाथ का वो छोटा सा कोना,
जंहा कभी उसने सुरु किया था रोना
दिन में जो थाल बनती, और रात में बिस्तर
जिसपे खुद जीना सीखा उसने आँशु पीकर
आज वो फुटपाथ बिक गयी हैं,
ज़िंदगी फिर से उसी मोड़ रुक गयी है
एक वो थे जिन्होने मोल न समझा था उसका
और एक वो है जो आज मोल लगा रहे उसका
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