Thursday, August 1, 2013

बटती माँ !!

आज फिर बटी हैं ये धरा, कौड़ियो के दाम पे
फिर बिखरी पड़ी हैं माँ अपने बेटो के घाव से. 
बाटा गोरो ने जब माँ को तो लहू बिखरा बेटो का ।
अब बाट रहे बेटे ही माँ को लहू बहाके माँ का ।

फिर बट रही हैं धरती ,जाती धर्मो के नाम पे 
बिक रही बाजारों मे, राजा रंको के काम से
अब कोई बनेगा राजा, बाकि चोर ही रह जायेंगे 
राजा आधा खायेगा, और बाकी भी कुछ पाएंगे
बैठ मदारी दिल्ली मे तमाशा खूब दिखाएगी 
बेचारी भूखी जनता को ये नंगा ही नचाएगी


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