Tuesday, October 19, 2010
Friday, October 15, 2010
Saturday, September 18, 2010
नैना
नैना.ना.ना..नैना.
नैना.ना.ना..नैना.
नैना..तेरे नैना नैना..तेरे नैना
देखो..कहते हैं ना
नैना.ना.ना.नैना.
चाहे हो खुली, हो चाहे बंद.
इशारों मे ही कहती हैं ना
लुबो कि खामोसी को
ये तोडती हैं ना.
नैना.ना.ना.नैना.
नैना.ना.ना.नैना.
हैं जंहान में खुदा कि रूह तेरे नैना
एक अम्बर तले दो सागर ये नैना
मृग नैना .
नैना.ना.ना.नैना.
नैना.ना.ना.नैना
हो खफा तो खंजर भी हैं तेरे नैना.
मुहोब्बत मे क़त्ल करते भी हैं ना.
नए नए से नैना
नैना.ना.ना.नैना.
नैना.ना.ना.नैना
Saturday, September 4, 2010
रेन इज फाल्लिंग छमा छम छम.
दिल्ली के कीचड़ मैं गिर गए हम
लड़की ने जो हाथ बढाया रुक गया दम,
देखने मे वो लग रही थी बिलकुल आइटम
किसी तरह हमने होश को संभाला,
बंद हुई जबान से धन्यवाद निकाला
अपने हाथो से तश्रीफ़ से कीचड़ झाटकारा.
फिर उसी हाथ को उस हसी कि ओर उछाला.
वो इस खूबसूरती से मुस्कुराई ,
देख मेरे मन ने ली अंगडाई.
फिर अपना रुमाल मेरी तरफ बढाया.
कहा करलो जरा अपने तश्रीफ़ का सफाया.
अब हमे अपने कपड़ो का ध्यान आया
जो अपनी पैंट पे नज़र को दौडाया.
तो मेरी फट चुकी कि थी हर तरह से
बचपन का नज़ारा सरेआम हो आया
शिला आंटी जी से गुजारिश हैं हमारी.
कोमनवेल्थ गेम से पहले सड़के बनवाए
और गड्ढो से घिरी दिल्ली मे लडको को
कम से कम लडकियों के सामने ना गिराए.
Friday, August 20, 2010
एक बदल का टुकड़ा मेरे हाथो मे पिघल आया हैं,
जिसका हर बूंद साफ़ आईने सा दमक रहा हैं ,
और हर बूंद का सफ़र कहानी बया कर रहा हैं |
कोई सागर की कैद से निकल आया हैं,
तो कोई दरिया से बिछुड़ निकला हैं,
कोई कुए के बंधन को तोड़ भागा हैं,
तो कोई तलैया से खुद को चुराया हैं|
पर जब सब एक साथ आसमा मे मिले|
तो कही साथ बरसने के लिए,
किसी प्यासी धरती की आत्मा भिंगोने|
ये दुनिया बेमिसाल हैं
यंहा सिर्फ शब्दों का जाल हैं
मैं किसको क्या बोल बताऊ
पड़े लिखो को क्या सिखलाऊ
अगर मैं कहुं यंहा ये की
यंहा सिर्फ शब्दों का जाल हैं
मैं किसको क्या बोल बताऊ
पड़े लिखो को क्या सिखलाऊ
अगर मैं कहुं यंहा ये की
शब्दो की हममें समझ नहीं
तो ये शब्दों का एक खेल हैं
शब्द सारे तो खुद मुझमे हैं
बस उन्हें लाने की समझ नहीं
यंहा जो शब्दों से खेलता हैं
वही दुनिया को धकेलता हैं
वही दुनिया को धकेलता हैं
चाहे वो अभिनेता हो
या फिर कल वो नेता हो
वो कोरे शब्दों को बोलता हैं
और जनता के मन से खेलता हैं
मन क्या कहता
मन क्या कहता हैं, ये जानना हमने ना सीखा|
ना ही सीखा हमने, कि मन क्या सुनता हैं|
ये तो बाते किया करता हैं उड़ान भरने को,
और सुनता ये उसकी जिसका दिल कहता हैं |
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