Saturday, July 21, 2012


हर गम को भूल जाना , मैंने मुनासिब समझा, 
हर राह पे चलना , मैंने मुनासिब समझा,
हर इन्सान को परखना, मैंने मुनासिब समझा,
पर न समझा की, मेरे लिए मुनासिब क्या था।
गम होते हैं तो, खुशिया भी मिल जाती हैं.
हर राह की भी, कोई मंजिल बन जाती हैं।
इन्सान एक गलत हो तो, सही बन जाता हैं।
पर खुद में क्या गलत हैं, सवाल बन जाता हैं।

Sunday, July 15, 2012

हम अक्सर अकेले बैठे रहते हैं ,
और तन्हायिया साथ देने आ जाती हैं.
हम तो उनका बस ख्याल करते हैं,
यादे तो उनकी बस युही आ जाती हैं.
ना देखते हैं तश्वीर उनकी फिर भी,
उनका चेहरा आखो मे चला आता हैं,
प्यार तो वो हमे बहुत करते हैं,
पर दूरिय हैं जो कम नहीं होती हैं.

Saturday, July 14, 2012

तेरे आजाने से ज़िन्दगी मे, हमे कुछ पाने कि ख़ुशी हैं,
पर एक डर अबभी हैं मुझमे, तुझसे कही दूर होने कि,
एहसाश हैं, तेरे साथ होने का, पर तुझसे दुरी कम नहीं,
अक्सर अपने अंदर ही देख लेता  हूँ तुझे छु लेने को,
पर खुद को महसूस नहीं कर पता हूँ खुद मे