Friday, July 3, 2015

मन क्या कहता हैं!!!

दिल मे ये प्यास बड़ी बुरी हैं
की एक आग से बुझी हैं 
धडकनो के सन्नाटे सुने हैं 
खामोसी के शोर सही हैं 
डूब जाना था जीस बूंद में 
बूंद मिट्टी में जा वो मिली हैं 
कैहने को फ़साने बहुत है 
बस मेरी खामोशी सही हैं 

तिनको में कही कल भिखरा पड़ा था 
आज हवाओं  में जा मिला हूँ 
बादलो की आगोश में बैठ के 
फिर से कही बरस रहा हूँ 
मै आइना हूँ खुद का 
अपनी परछाई ढूंढ रहा हूँ 

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