Tuesday, August 14, 2012

करप्सन गान

कर चले थे वो फ़िदा जानो-तन  साथियों.
अब हमारे हवाले सदन साथियों..
महगाई थमती नहीं कीमते बढती गई
फिर भी बढ़ते करप्सन को न रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर मैडम का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँझपन साथियों... अब हमारे हवाले सदन साथियों
कर चले थे वो फ़िदा जानो-तन  साथियों.
अब हमारे हवाले सदन साथियों..
छुपे रहने के मौसम बहुत हैं मगर
लूट लेने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और पैसे दोनों को लुटा करे
वो जवानी जो दारू में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथियों..., अब हमारे हवाले सदन साथियों
कर चले थे वो फ़िदा जानो-तन  साथियों.
अब हमारे हवाले सदन साथियों..
राह बैमानियो की न वीरान हो
तुम बनाते ही रहना नये मनसूबे
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
मैडम अंग्रेजो से मिल रही है गले
आज आजादी बनी है मैडम साथियों, अब तुम्हारे हवाले सदन साथियों
कर चले थे वो फ़िदा जानो-तन  साथियों.
अब हमारे हवाले सदन साथियों..
खींच दो अपने जुंबा से मीडिया पर लकीर
इस तरफ़ आने पाये न अन्ना कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये न मैडम का दामन कोई
कसाब भी तुम तुम्हीं लादेन साथियों, अब तुम्हारे हवाले सदन साथियों
कर चले थे वो फ़िदा जानो-तन  साथियों.
अब हमारे हवाले सदन साथियों..

2 comments:

  1. हा हा हा हा हा सही है ! लेकिन वो अभी सदन छोड़ कर जा कहा रहे है अभी २०१४ में टाईम है उसके बाद ये गाना गायेंगे ना :)

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  2. he he..bhut khub.. Keep on writing:)

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