Friday, August 20, 2010

एक बदल का टुकड़ा मेरे हाथो मे  पिघल आया हैं,
जिसका हर बूंद साफ़ आईने सा दमक रहा हैं ,
और हर बूंद का सफ़र कहानी बया कर रहा हैं |
कोई सागर की कैद से निकल आया हैं, 
तो कोई दरिया से बिछुड़ निकला हैं,
कोई कुए के बंधन को तोड़ भागा हैं,
तो कोई तलैया से खुद को चुराया हैं|
पर जब सब एक साथ आसमा मे मिले|
तो कही साथ बरसने के लिए,
किसी प्यासी धरती की आत्मा भिंगोने|

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