Tuesday, August 2, 2011

एक ख्याल दिल के आसमा पे छाया हैं
की जिंदगी खुला आसमा क्यों नहीं होती
क्यों उससे सारी जिंदगी साफ़ नहीं दिखती
जब कभी उम्मीद की गर्मी बढती हैं
तो एक काला बादल क्यों छा जाता हैं
जो हर वक़्त हमारे दिल को लुभाता रहे
जिन्दगी वो एक मौसम क्यों नहीं बन जाती

उम्मीद का बदल, गर्म पलो के बाद आता हैं
खुसी का एहसास, हमे गम के बाद आता हैं

1 comment:

  1. जवाब खुद दे दिया है
    उम्मीद का बदल, गर्म पलो के बाद आता हैं
    खुसी का एहसास, हमे गम के बाद आता हैं
    गम के बिना ख़ुशी का पता नहीं चलता और जिंदगी बहुत मीठी हो जाये तो मजा नहीं देती नमकीन कड़वाहट का भी एक स्वाद होता है |

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