Wednesday, March 2, 2011

हम जाये कहा खुशियों कि तलाश मे
कि खुशियों का कोई घर होता नहीं,
आज इस घर मे होती हैं खुशी तो,
कल किसी और के घर मे मिलती हैं,
हम चाहे भी तो ना रूकती हैं ख़ुशी
आती जाती ही हैं खुशी अपने मन से
हम जाये कहा खुशियों कि तलाश मे
कि खुशियों का कोई घर होता नहीं,
ये खुशी कि भी अजब चाल हैं
कभी किसी अमीर के पैसो मे हो 
कभी किसी गरीब कि रोटी मे खुशी  
विदा होती दुल्हन के रोने मे छिपी
तो रोते बच्चे कि टॉफी मे खुशी.
हम जाये कहा खुशियों कि तलाश मे
कि खुशियों का कोई घर होता नहीं,
खुशी कि खुशी घर से नहीं होती,
घर के लोंगो मे बसती हैं खुशी |
माँ कि ममता मे खुशी, पिता कि डाट मे,
बहन कि राखी मे खुशी, भाई कि साथ मे,
हम जाये कहा खुशियों कि तलाश मे
की खुद के मन मे बसी होती हैं खुशी
0(-_-)0

1 comment:

  1. बहुत अच्छा है | कुछ जगह स्पेलिंग ठीक कर लो "की" को "कि"|
    http://www.hamarivani.com/ इस अगेइगेटर से जोड़ लो अपना ब्लॉग |

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