खामोशी
एक खामोशी सादगी कि,
एक खामोशी बेचारगी की।
एक थी वो बेरुखी की,
एक थी वो प्यार की।
एक खामोशी क्रोध थी,
और खामोशी वार सी।
एक थी सागर सी भरी,
एक थी बंज़र ज़मी।
लब्ज़ के बिना हो खामोशी,
या करोंडो लब्ज़ हो।
शर्म कहती है कही,
तो कही बेशर्म हैं।
एक खामोसी के अन्दर,
जाने कितने दर्द हैं।
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