चूर कर भी सका मुझको, पर पिघला न पायेगा।
तू खुद मेरे हाथो मे बंधा , मुझसे दूर कहा जायेगा।
जो मेरी मुस्कराहट देखली, तू खुद ही बदल जायेगा।
ना कर तू गुमान खुदपे, तुझे बंद मुट्ठी मे रखते हैं।
जिनके हौसले हो बुलंद, तेरे सामने कहा झुकते हैं।
तक़दीर बनाने वाले की, तक़दीर कहा होती हैं।
कूट चुके जिनके हाथ, क्या उनकी तक़दीर नहीं होती हैं।
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