एक शाम आते आते बाहों में यूँही गुजर गयी
गर्म धुप की एक किरण आँखों मे भुझ गयी
जिन्दगी हमारी तनहा रहना चाहती भी नहीं थी
मगर हमसफ़र ढूंडते सारी जिंदगी उलझ गयी
गर्म धुप की एक किरण आँखों मे भुझ गयी
जिन्दगी हमारी तनहा रहना चाहती भी नहीं थी
मगर हमसफ़र ढूंडते सारी जिंदगी उलझ गयी
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