मन क्या कहता
Thursday, April 28, 2011
क्योकि...जमी पे जीवन हैं,
आसमा के पंख निकल आये,
की सूरज के पास वो ऊड चला |
धरती की प्यास बढ़ गयी,
जो उसका पसीना निकल गया |
जमी पे कोई आढ़ जो ना रहा हैं,
की जमी पे जीवन जो पनप रहा,
ये जीवन ही जमी को खा रहा हैं
पर जमी की भूख को बड़ा रहा
2 comments:
anshumala
April 29, 2011 at 2:52 AM
ये वाला कुछ समझ नहीं आया ???
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anshumala
April 29, 2011 at 2:53 AM
ये वर्ड वेरिफिकेशन हटा दो कमेन्ट करने में मुश्किल होती है |
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ये वाला कुछ समझ नहीं आया ???
ReplyDeleteये वर्ड वेरिफिकेशन हटा दो कमेन्ट करने में मुश्किल होती है |
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