क्यों रोती ये जनता, क्या रोना ही अब काम हैं
कभी कोई चीज़, तो कभी किसी का नाम हैं
रो रही हैं जनता, रोना ही बस काम हैं
रो रहे हैं हम, क्यु बाड़ हैं इत्ती आई
रो रहे हैं हम, क्यों सूखे ने जान खाई
रोये थे क्या तबभी, जब पेड़ो को काटा था,
रोये थे क्या तबभी, जब तालाबों को बहाया था,
क्यों रोती ये जनता, क्या रोना ही अब काम हैं
कभी कोई चीज़, तो कभी किसी का नाम हैं
रो रही हैं जनता, रोना ही बस काम हैं
रोते हैं हम जब, इज़्ज़त किसी की लुटती हैं
रोते हैं हम जब, सजा वो नेता पाता हैं
क्या रोये थे हम, जब इज़्ज़त किसी की छेड़ी थी
क्या रोये थे हम, जब चोर नेता को जिताया था
क्यों रोती ये जनता, क्या रोना ही अब काम हैं
कभी कोई चीज़, तो कभी किसी का नाम हैं
रो रही हैं जनता, रोना ही बस काम हैं
रोते हैं सब तब, जब मांगे कोई घूंस हैं
रोते है सब तब, जब चोरी कुछ हो जाता हैं
क्या रोये थे तब, जब दहेज़ हमने माँगा था
क्या रोये थे तब, कला धन छुपाया था
क्यों रोती ये जनता, क्या रोना ही अब काम हैं
कभी कोई चीज़, तो कभी किसी का नाम हैं
रो रही हैं जनता, रोना ही बस काम हैं