Wednesday, June 27, 2012

शक्श एक अन्दर घुट के मार जाता
पर आह नहीं निकल पाती फिजा मे
साथ तन्हाई का भी काम नहीं आता
पर साथ किसीका मन नहीं भाता
जाने  क्या दबा इस मन के अन्दर
सुलग रहा जो फूट जाने को
जाने कौन सा तूफान आने वाला हैं